बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामला: एनकाउंटर की सच्चाई पर हाई कोर्ट के सवाल, जांच के आदेश
के कुमार आहूजा कान्ता आहूजा 2024-09-26 06:35:42
बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामला: एनकाउंटर की सच्चाई पर हाई कोर्ट के सवाल, जांच के आदेश
बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी अक्षय शिंदे की कथित मुठभेड़ में मौत ने महाराष्ट्र में सियासी और कानूनी हलचल मचा दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले को "मुठभेड़" मानने से इंकार कर दिया है और पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या यह एक एनकाउंटर था या फिर कानून के दायरे से बाहर की गई कार्रवाई? इस घटना ने पुलिस की मुठभेड़ नीति और न्याय प्रणाली पर एक नई बहस छेड़ दी है।
एनकाउंटर की सच्चाई पर कोर्ट की शंका:
बॉम्बे हाई कोर्ट ने अक्षय शिंदे की मौत को लेकर महाराष्ट्र पुलिस की कहानी पर संदेह जताया है। कोर्ट का कहना है कि शिंदे जैसे कमजोर व्यक्ति के लिए पिस्तौल को तुरंत खोलना और गोली चलाना मुश्किल है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह घटना पहली नजर में मुठभेड़ की तरह नहीं दिखती, बल्कि इसमें किसी गड़बड़ी की संभावना है। अदालत ने पुलिस से सभी सबूतों को संरक्षित रखने के निर्देश दिए और इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी से कराने की बात कही है।
पुलिस की सफाई पर कोर्ट का सवाल:
पुलिस के अनुसार, शिंदे को ठाणे जिले के बदलापुर ले जाते वक्त उसने एक पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीन ली और पुलिस टीम पर गोलियां चलाईं। जवाबी कार्रवाई में शिंदे मारा गया। लेकिन कोर्ट ने इस बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस के चार अधिकारी एक अकेले व्यक्ति को काबू में क्यों नहीं कर पाए? साथ ही, अदालत ने पूछा कि पुलिस ने आरोपी को सिर में क्यों मारा, जबकि एसओपी के अनुसार पहले पैर या हाथ में गोली मारनी चाहिए थी।
बाल सुरक्षा समिति की प्रगति पर नाराजगी:
अदालत ने स्कूलों में बाल सुरक्षा की जांच के लिए गठित समिति की प्रगति पर नाराजगी जाहिर की। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने कहा कि समिति के सदस्यों को अभी तक उनकी जिम्मेदारियों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। कोर्ट ने अधिकारियों से आठ हफ्तों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
अक्षय शिंदे का एनकाउंटर:
24 वर्षीय अक्षय शिंदे, जो बदलापुर के एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार हुआ था, को पुलिस ने 23 सितंबर को एनकाउंटर में मार गिराया था। परिवार का आरोप है कि शिंदे की मौत एक फर्जी मुठभेड़ में हुई है और उन्होंने विशेष जांच दल (SIT) से जांच की मांग की है। परिवार का दावा है कि पुलिस ने शिंदे पर दबाव बनाकर कबूलनामा लेने की कोशिश की थी।
अधिवक्ता ने क्या कहा?
पुलिस के कृत्य का महिमामंडन और समर्थन गलत है। अक्षय शिंदे को अपराधी बनाया गया और बिना सुनवाई के उसकी हत्या कर दी गई। मेरा कहना है कि यह एक निर्मम हत्या है," वकील अमित कटरनवारे ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की हत्या पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई करने पर कहा। अधिवक्ता ने कहा कि इस (मुठभेड़) घटना के पहले अक्षय शिंदे के माता-पिता उससे मिले थे और उसने जेल कैंटीन के लिए 400-500 रुपए मांगे थे। उसने उनसे जमानत के बारे में भी चर्चा की थी। इससे पता चलता है कि वह न्याय मांग रहा था। दूसरी बात, अगर वह कैंटीन के लिए पैसे मांग रहा है, तो उसने जेल जाने का मन बना लिया होगा। इसलिए, पुलिस का दावा कि उसने भागने के लिए गोली चलाई, गलत लगता है। (बॉम्बे हाई) कोर्ट ने उस पर बिल्कुल नजदीक से गोली चलाने पर सवाल उठाए हैं।
राजनीतिक विवाद:
इस घटना ने महाराष्ट्र में सियासी बवाल खड़ा कर दिया है। विपक्ष ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे एक "फर्जी मुठभेड़" करार दिया और राज्य सरकार पर स्कूल प्रबंधन को बचाने का आरोप लगाया। यह मामला आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर और भी तूल पकड़ रहा है।
बहरहाल, इस घटना ने न्याय और पुलिस कार्रवाई की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट की यह टिप्पणी कि "यह मुठभेड़ नहीं हो सकती" और "सच्चाई जानने के लिए हमें पूरी तरह से निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है", समाज में न्याय के प्रति विश्वास को पुनर्स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण है। अब देखना यह है कि इस मामले में आगे क्या होता है और क्या अक्षय शिंदे के परिवार को न्याय मिल पाता है या नहीं।