पहले हादसा हो जाए, फिर ठोस कदम उठाएंगे, बीकानेर की ध्वस्त हो रही धरोहर: प्रशासन की लापरवाही को किसी बड़े हादसे का इंतजार
के कुमार आहूजा 2024-09-26 05:26:26
पहले हादसा हो जाए, फिर ठोस कदम उठाएंगे, बीकानेर की ध्वस्त हो रही धरोहर: प्रशासन की लापरवाही को किसी बड़े हादसे का इंतजार
बीकानेर की पुरानी कोर्ट परिसर की छत की खस्ताहालत किसी दुर्घटना का संकेत दे रही है, और प्रशासन की निष्क्रियता इसे और भयावह बना रही है। यहां की ऐतिहासिक धरोहर की अनदेखी प्रशासन के उस रवैये को दर्शाती है जो शायद किसी हादसे के बाद ही जागने का आदी हो चुका है।
बीकानेर के ऐतिहासिक पुरानी कोर्ट परिसर में पिछले कई महीनों से सुरक्षा की अनदेखी हो रही है। परिसर के पिछले गेट पर स्थित पोर्च की छत लंबे समय से क्षतिग्रस्त है, जिसके कारण पोर्च के दोनों ओर बैरिकेड्स लगाए गए हैं। बावजूद इसके, लोग पोर्च के ठीक बाहर से आवागमन कर रहे हैं। यदि कभी यह छत गिरती है, तो यह बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
इस मुद्दे को और गंभीर बनाती है पोर्च की छत पर लोगों की गतिविधि, जो बदस्तूर जारी है। अक्सर लोग भीड़ से बचकर मोबाइल पर बात करने के लिए पोर्च की इस छत पर आ जाते हैं, इस बात से अनजान कि कभी भी यह छत गिर सकती है। अब तक प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। बीकानेर संभाग मुख्यालय होने के बावजूद इस क्षेत्र के विकास और मरम्मत के लिए प्रशासन के पास कोई ठोस योजना नहीं है। ऐतिहासिक महत्व की इस धरोहर को शायद प्रशासन ने उसके हाल पर छोड़ दिया है।
बीकानेर का यह कोर्ट परिसर, जिसे महाराजा गंगासिंह जी ने बनवाया था, रोजमर्रा के कामकाज के लिए वकीलों और आम जनता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। वकीलों के ओपन चैम्बर से स्टाम्प वेंडर तक जाने के लिए यही मार्ग सबसे सुगम है। इसके अलावा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की सबसे बड़ी शाखा और रीजनल ऑफिस में जाने वाले लोग और कर्मचारी भी इसी रास्ते का उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त इस कोर्ट परिसर के पीछे स्थित विभिन्न बस्तियों के निवासी भी शहर के मुख्य बाजार तक आने-जाने के लिए इसी रास्ते का उपयोग करते हैं। अलसुबह से लेकर देर रात तक इस मार्ग से लोगो का आवागमन रहता है।इस कारण प्रतिदिन हजारों लोग इस खतरनाक स्थिति के संपर्क में आ रहे हैं।
अभी तक प्रशासन ने न तो इस क्षतिग्रस्त छत की मरम्मत के लिए कोई कदम उठाया है और न ही यहां से गुजरने वालों को चेतावनी देने के लिए कोई व्यवस्था की है। ऐसा लगता है कि प्रशासन किसी बड़े हादसे के इंतजार में है। यदि यह छत कभी भी गिरती है, तो इससे होने वाले नुकसान की कल्पना करना भी कठिन है।
पहले भी हो चुकी घटनाएं
इससे पूर्व पुराने कोर्ट परिसर के बार रूम संख्या चार में छत का प्लास्टर गिरा था। घटना के समय वकील और क्लाइंट्स वहां मौजूद थे। सौभाग्य से, प्लास्टर गिरने से ठीक एक मिनट पहले वहां बैठे क्लाइंट्स उठकर चले गए थे, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। इस घटना से कोर्ट परिसर में मौजूद लोगों में दहशत फैल गई थी, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। वकीलों और बार काउंसिल के सदस्यों ने इस खस्ताहाल स्थिति को सुधारने के लिए प्रशासन को पहले ही कई बार पत्र लिखे हैं, लेकिन उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
प्रशासनिक लापरवाही:
बीकानेर के इस मामले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रशासनिक लापरवाही किस स्तर तक पहुंच चुकी है। बीकानेर संभाग, जो कि एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र है, यहाँ की ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल के लिए करोड़ों का बजट आवंटित होता है। फिर भी इस कोर्ट परिसर की देखभाल और मरम्मत के लिए प्रशासन के पास कोई धनराशि नहीं है। यह प्रशासन की अनदेखी और उदासीनता को दर्शाता है।
क्या है समाधान?
इस समस्या का समाधान करने के लिए प्रशासन को तत्काल प्रभाव से इस छत की मरम्मत करनी चाहिए। इसके अलावा, यहाँ से गुजरने वाले लोगों को इस खतरनाक स्थिति के प्रति सचेत करना चाहिए। रास्ते के चारों ओर सुरक्षा बैरिकेड्स लगाए जाने चाहिए और मरम्मत होने तक यहां से आवागमन को पूरी तरह से रोकना चाहिए। साथ ही इसकी छत पर पहुँचने वाले रास्ते को भी बंद किया जाना चाहिए जिस से इस क्षतिग्रस्त पोर्च के ऊपर कोई ना पहुँच सके।
इस मामले में प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। इस ऐतिहासिक धरोहर की मरम्मत और रखरखाव के लिए उचित बजट और संसाधन आवंटित करना अत्यावश्यक है, ताकि आने वाले दिनों में कोई अप्रिय घटना न हो। वकीलों और स्थानीय नागरिकों ने भी इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन से कई बार गुहार लगाई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यदि प्रशासन समय रहते नहीं चेता, तो बीकानेर की जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
बहरहाल, बीकानेर की पुरानी कोर्ट परिसर की स्थिति प्रशासन की लापरवाही का जीता जागता उदाहरण है। यह घटना एक चेतावनी है कि समय रहते अगर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह अनमोल धरोहर और जनता की सुरक्षा दोनों खतरे में पड़ सकते हैं। उम्मीद है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस पर ध्यान देगा और जरूरी कदम उठाएगा, ताकि किसी बड़े हादसे को टाला जा सके।