सांभरलेक में अतिक्रमण पर बुलडोजर: वर्षों से बसे 53 परिवारों के घर ध्वस्त, पुनर्वास की मांग


  2024-09-25 07:35:36



सांभरलेक में अतिक्रमण पर बुलडोजर: वर्षों से बसे 53 परिवारों के घर ध्वस्त, पुनर्वास की मांग

जयपुर के सांभरलेक के मोरसर गांव में मंगलवार को प्रशासन ने वर्षों से बसे 53 परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की। प्रशासन के इस कदम से गांव में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई, क्योंकि ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास वर्षों पुराने पट्टे और अन्य दस्तावेज हैं। हाईकोर्ट के आदेश के पालन में प्रशासन ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया, लेकिन स्थानीय लोगों ने पुनर्वास की मांग को लेकर विरोध जताया।

नोटिस चस्पा, मचा हडकंप 

मोरसर गांव, जो सांभरलेक उपखंड क्षेत्र में स्थित है, में चरागाह भूमि पर बसे परिवारों के मकानों को अतिक्रमण मानते हुए प्रशासन ने मंगलवार को भारी पुलिस बल की मौजूदगी में मकानों को गिराना शुरू किया। सुबह-सुबह ही पुलिस ने चिन्हित घरों पर नोटिस चस्पा किए, जिसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। तहसीलदार कृष्ण शर्मा के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश के तहत 53 परिवारों को अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया गया था, जिसे पूरा किया गया।

कार्रवाई का पूरा घटनाक्रम: 

सुबह से ही प्रशासनिक अमला तीन जेसीबी और सैकड़ों पुलिसकर्मियों के साथ गांव पहुंच गया। जैसे ही बुलडोजर घरों पर चलने लगे, ग्रामीण अपने-अपने दस्तावेज लेकर अधिकारियों के पास पहुंचे। ग्रामीणों ने बताया कि उनके पास ग्राम पंचायत द्वारा जारी पट्टे, बिजली-पानी के कनेक्शन और अन्य कानूनी दस्तावेज मौजूद हैं, लेकिन प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कार्रवाई को जारी रखा।

विरोध के बावजूद, चारागाह भूमि करवाई खाली 

ग्रामीणों के विरोध के बावजूद, प्रशासन ने दो बीघा चरागाह भूमि को खाली करवा लिया। कार्रवाई के दौरान, कुछ लोग अपने घरों का सामान निकालने का प्रयास करते रहे, जबकि कई लोग अधिकारियों से पुनर्वास की गुहार लगाते दिखे। दिलीप सिंह, एक स्थानीय निवासी, ने बताया कि उनके पूर्वज वर्षों से यहां बसे हैं और उनके पास सभी कानूनी दस्तावेज हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि उन्हें उचित पुनर्वास प्रदान किया जाए।

ग्रामीणों की मांग और अधिकारियों का जवाब: 

ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया। उन्होंने सरकार से पुनर्वास या उनकी भूमि को आबादी क्षेत्र घोषित करने की मांग की। इस पर अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। तहसीलदार कृष्ण शर्मा ने कहा कि प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन किया है और सभी कार्यवाही नियमानुसार की गई है।

बहरहाल, मोरसर गांव में हुई इस कार्रवाई से ग्रामीणों में नाराजगी और प्रशासन के प्रति गहरा अविश्वास देखने को मिला। यह मामला एक बार फिर से उजागर करता है कि अतिक्रमण हटाने के दौरान प्रशासनिक अमले को कैसे स्थानीय लोगों की समस्याओं का ध्यान रखते हुए कार्य करना चाहिए। ग्रामीणों की पुनर्वास की मांग को लेकर यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।


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