महाराष्ट्र सरकार का चुनावी दांव: ब्राह्मण, राजपूत और कुनबी समुदायों को साधने की तैयारी
के कुमार आहूजा 2024-09-24 09:27:25
महाराष्ट्र सरकार का चुनावी दांव: ब्राह्मण, राजपूत और कुनबी समुदायों को साधने की तैयारी
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मच गई है। एकनाथ शिंदे सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर ब्राह्मण और राजपूत समुदायों के लिए बड़े फैसले लिए हैं, साथ ही कुनबी जातियों के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। ये निर्णय न केवल जातीय समीकरण को साधने के प्रयास हैं, बल्कि आगामी चुनावों में वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा भी माने जा रहे हैं।
23 सितंबर 2024 को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कैबिनेट बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें राज्य की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को लेकर कई अहम फैसले लिए गए। इन निर्णयों के पीछे मुख्य रूप से राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों में समुदायों की नाराजगी को दूर करने और उनके समर्थन को सुरक्षित करने की कोशिश दिखाई देती है।
ब्राह्मण और राजपूत समाज के लिए विशेष योजनाएँ
शिंदे सरकार ने ब्राह्मण और राजपूत समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए दो अलग-अलग निगमों की स्थापना का फैसला किया। ब्राह्मण समाज के लिए "परशुराम इकोनॉमिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन" और राजपूत समाज के लिए "वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप इकोनॉमिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन" का गठन किया गया है। इन दोनों निगमों को 50-50 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। सरकार का कहना है कि इन निगमों के माध्यम से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को रोजगार और अन्य वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
कुनबी जातियों को OBC में शामिल करने का निर्णय
इस कैबिनेट बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णय कुनबी जातियों को लेकर लिया गया। तीन कुनबी उपजातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल करने का फैसला किया गया है। यह फैसला उस समय आया है जब सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे लगातार कुनबी समुदाय को OBC श्रेणी में शामिल करने की मांग कर रहे थे और एक बार फिर अनशन पर बैठे थे। इस निर्णय को महायुति गठबंधन की आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक रणनीतिक कदम के रूप में भी देखा जा रहा है।
सरकार की अन्य प्रमुख घोषणाएँ
इसके अलावा, बैठक में किसानों और अन्य वर्गों के लिए भी कई घोषणाएं की गईं:
धान उत्पादक किसानों को 40 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त माल भाड़ा मिलेगा।
जुन्नर में जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायालय की स्थापना की जाएगी।
शिरूर से छत्रपति संभाजीनगर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा, जो 1486 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा।
राज्य में सांस्कृतिक नीति की घोषणा की गई है।
अजिंक्य रहाणे को स्पोर्ट्स फेसिलिटी निर्माण के लिए भूमि आवंटित की गई है।
बॉम्बे हाई कोर्ट के नए परिसर का निर्माण बांद्रा में होगा।
राज्य में 14 नए ITI संस्थानों का निर्माण होगा।
दूध उत्पादकों को गाय के दूध पर 7 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी जारी रहेगी।
चुनावी दृष्टिकोण और जातिगत समीकरण
यह सारी घोषणाएँ महाराष्ट्र की राजनीति में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की गई हैं। ब्राह्मण, राजपूत और कुनबी समुदायों के लिए बनाई गई योजनाएँ सीधे-सीधे चुनावी गणित को साधने की कोशिश के रूप में देखी जा रही हैं। महाराष्ट्र में राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इन फैसलों का मुख्य उद्देश्य ब्राह्मण और राजपूत समुदाय के साथ-साथ कुनबी जातियों को भी महायुति गठबंधन के पक्ष में लामबंद करना है।
कुनबी जातियों को OBC श्रेणी में शामिल करने का फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में मनोज जरांगे के नेतृत्व में इस समुदाय ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किया था। जरांगे की मांग थी कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाए, ताकि उन्हें OBC श्रेणी में आरक्षण मिल सके। हालांकि, इस फैसले से OBC समुदायों के बीच भी असंतोष फैलने की संभावना है क्योंकि यह उनके कोटे को प्रभावित कर सकता है।
बहरहाल, महाराष्ट्र की राजनीति में यह घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आया है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिए गए ये फैसले न केवल शिंदे सरकार के समर्थन को मजबूत करने का प्रयास हैं, बल्कि राज्य के विभिन्न समुदायों के बीच संतुलन बनाने की भी कोशिश हैं। चुनावी रणनीति के रूप में ब्राह्मण, राजपूत और कुनबी समुदायों के लिए किए गए ये ऐलान आने वाले दिनों में किस हद तक सरकार के पक्ष में जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।