अमेरिकी कंपनियों का भारत की ओर बढ़ता रुख! चीन में आर्थिक सुस्ती के बीच नए निवेश का सुनहरा मौका


के कुमार आहूजा  2024-09-23 21:10:44



अमेरिकी कंपनियों का भारत की ओर बढ़ता रुख! चीन में आर्थिक सुस्ती के बीच नए निवेश का सुनहरा मौका

अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दुनिया में इन दिनों एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे ट्रेड वॉर ने दोनों देशों के कारोबारी रिश्तों को एक नया मोड़ दिया है। ऐसे में, जब चीन की अर्थव्यवस्था आर्थिक सुस्ती के दौर से गुजर रही है, अमेरिकी कंपनियां भारत की ओर तेजी से रुख कर रही हैं। क्या भारत इस नई आर्थिक दौड़ में अपनी स्थिति को मजबूत कर पाएगा? आइए, जानते हैं इस महत्वपूर्ण बदलाव के पीछे की कहानी।

व्यापारिक रिश्तों का नया अध्याय

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव ने दोनों देशों के कारोबारी संबंधों में खटास ला दी है। पिछले कुछ वर्षों में चीन की अर्थव्यवस्था भी विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में, अमेरिका की कंपनियां जो चीन में कारोबार कर रही थीं, अब नए विकल्पों की तलाश में हैं। इस संदर्भ में, भारत अब एक आकर्षक विकल्प के रूप में उभर रहा है।

एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 15 अमेरिकी कंपनियां जल्द ही भारत में अपने कारोबार की शुरुआत कर सकती हैं। ये कंपनियां अपने साथ लाखों करोड़ रुपये का निवेश भी लाएंगी, जो न केवल भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देगा, बल्कि लाखों रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न करेगा।

अमेरिकी कंपनियों का रुख

यूएस चैम्बर ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी कंपनियों की चीन से बाहर निकलने की इच्छा तेजी से बढ़ रही है। रिपोर्ट में शामिल लगभग 50 कंपनियों ने पहले ही तय कर लिया है कि वे चीन में अपने निवेश को समेटने की योजना बना रही हैं। इन कंपनियों ने चीन में लगभग 12 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है, जिसमें से लगभग 15 कंपनियां अपने कारोबार को भारत में स्थानांतरित करने की सोच रही हैं।

यह रिपोर्ट 306 कंपनियों के बारे में जानकारी देती है, जो इस बात को दर्शाती है कि अमेरिकी कंपनियां अब भारत को प्राथमिकता देने लगी हैं। पिछले वर्ष भारत का स्थान निवेशकों की पसंद में 5वें नंबर पर था, लेकिन इस वर्ष भारत दूसरे स्थान पर आ गया है, जो एक सकारात्मक संकेत है।

निवेश के लिए भारत की नई स्थिति

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि निवेशकों की प्राथमिकता अब मेक्सिको, अमेरिका और यूरोप की तुलना में भारत की ओर बढ़ रही है। भारत के बढ़ते बाजार और अनुकूल निवेश माहौल ने इसे आकर्षक बना दिया है। हालांकि, पहले स्थान पर दक्षिण पूर्व एशिया का क्षेत्र है, जिसमें इंडोनेशिया, सिंगापुर और मलेशिया शामिल हैं।

हाल के वर्षों में, चीन अपने आकर्षण को खोता जा रहा है। मैनेजमेंट कंसल्टिंग सेक्टर में, लगभग 54 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश की इच्छुक हैं। इसके अलावा, गारमेंट और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी भारत में अपने निवेश की संभावना पर ध्यान दे रहे हैं।

चीन का बदलता माहौल

कोरोना महामारी के बाद चीन में निवेश का माहौल बदल गया है। सख्त नीतियों के कारण विदेशी कंपनियां अब वहां निवेश करने से हिचकिचा रही हैं। चीन की सरकार ने बेरोजगारी और बुढ़ापे की बढ़ती समस्या को देखते हुए अपनी नीतियों में बदलाव किया है। रिपोर्ट के अनुसार, 16 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी दर 21.3 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो कि पिछले 30 वर्षों में सबसे ज्यादा है।

इस आर्थिक दबाव के बीच, चीन की आर्थिक स्थिरता भी गंभीर खतरे में है। ऐसे में, अमेरिकी कंपनियों का भारत में निवेश करना एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है।

भारत का संभावित लाभ

अगर ये अमेरिकी कंपनियां भारत में अपने कारोबार की शुरुआत करती हैं, तो इससे न केवल भारत में विदेशी निवेश में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार के लाखों नए अवसर भी पैदा होंगे। भारत की युवा जनसंख्या और बड़ा बाजार इन कंपनियों को आकर्षित कर रहा है।

इसके अलावा, भारत की सरकार ने भी निवेशकों के लिए अनुकूल नीतियों की घोषणा की है, जिससे विदेशी कंपनियों को भारत में अपने व्यवसाय स्थापित करने में आसानी होगी।

अमेरिकी कंपनियों का भारत की ओर बढ़ता रुख न केवल व्यापारिक संबंधों में सुधार का संकेत है, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सुनहरा अवसर है। अगर ये कंपनियां भारत में सफलतापूर्वक अपने कारोबार की शुरुआत करती हैं, तो इससे भारत का आर्थिक परिदृश्य बदल सकता है।

यह बदलाव न केवल भारतीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर लाएगा, बल्कि देश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती प्रदान करेगा। अब देखना यह है कि क्या भारत इन कंपनियों को अपनी ओर खींचने में सफल हो पाएगा।


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