भारत और अमेरिका के बीच अरबों डॉलर का ड्रोन सौदा: चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ी


के कुमार आहूजा  2024-09-23 19:32:21



भारत और अमेरिका के बीच अरबों डॉलर का ड्रोन सौदा: चीन-पाकिस्तान की नींद उड़ी

भारत और अमेरिका के बीच एक ऐतिहासिक ड्रोन सौदा आज (22 सितंबर) को अंतिम रूप दिया गया है, जिसने दोनों देशों के रक्षा संबंधों को एक नई दिशा दी है। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ हुई चर्चा ने इस समझौते को गति दी। इस लेख में हम इस सौदे के महत्व, ड्रोन की क्षमताओं और इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

ड्रोन सौदे की पृष्ठभूमि

भारत और अमेरिका के बीच यह अरबों डॉलर का ड्रोन सौदा कई महीनों की बातचीत का परिणाम है। PM मोदी और राष्ट्रपति जो बिडेन की मुलाकात के दौरान, उन्होंने इस महत्वपूर्ण सौदे पर गहन चर्चा की, जिसमें भारत के रक्षा लक्ष्यों और क्षेत्रीय सुरक्षा की प्राथमिकताओं का विशेष ध्यान रखा गया।

सौदे की विशेषताएँ

भारत अमेरिका से 31 MQ-9B स्काई गार्जियन और सी गार्जियन ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में है, जिनकी कुल लागत लगभग 3 बिलियन डॉलर है। यह सौदा चीन की सीमाओं पर निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।

पिछले साल जून में, भारत के रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से हवा से ज़मीन पर मार करने वाली मिसाइलों और लेजर-गाइडेड बमों से लैस MQ-9B ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी थी। इस सौदे में हुई प्रगति भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के साथ बढ़ते तनाव को देखते हुए आवश्यक है।

ड्रोन की तकनीकी क्षमताएँ

MQ-9B ड्रोन की विशेषताएँ इसे एक अत्याधुनिक उपकरण बनाती हैं। यह ड्रोन 40,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है और लगभग 40 घंटे तक उड़ सकता है। इसके साथ ही, यह 170 हेलफायर मिसाइलों और 310 GBU-39B सटीक-निर्देशित ग्लाइड बमों से लैस है। इसकी रेंज 1900 किलोमीटर है, जो इसे बेहद प्रभावशाली बनाती है।

अमेरिका ने पहले ही इस ड्रोन का उपयोग अलकायदा के प्रमुख अल जवाहिरी को मारने के लिए किया था, जिससे इसकी क्षमता और उपयोगिता का पता चलता है। यह ड्रोन सर्विलांस, जासूसी, सूचना संग्रहण और दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने जैसे विभिन्न मिशनों के लिए उपयुक्त है।

भारत की रक्षा रणनीति

इस ड्रोन सौदे के अलावा, भारतीय नौसेना भी इस वित्तीय वर्ष में तीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों और 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों की खरीद की योजना बना रही है। यह सभी कदम भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने और चीन के साथ 3,488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निगरानी बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

चीन और पाकिस्तान पर प्रभाव

इस ड्रोन सौदे का चीन और पाकिस्तान पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। भारतीय सशस्त्र बलों के लिए यह ड्रोन अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें पूर्वी लद्दाख में चल रहे सैन्य तनाव के दौरान अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।

भारत और अमेरिका के बीच हुए इस ड्रोन सौदे ने रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति को जन्म दिया है। यह सौदा न केवल भारत की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी सुदृढ़ करेगा। अब देखना यह है कि यह सौदा वास्तविकता में कितना प्रभावी साबित होता है।


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