दशहरा महोत्सव से पहले मैसूरु में मची अफरातफरी: दो हाथियों की भिड़ंत से सड़कों पर मचा हड़कंप


के कुमार आहूजा  2024-09-22 12:26:34



दशहरा महोत्सव से पहले मैसूरु में मची अफरातफरी: दो हाथियों की भिड़ंत से सड़कों पर मचा हड़कंप

दशहरा महोत्सव की तैयारियों के बीच मैसूरु की सड़कों पर अचानक अफरातफरी मच गई, जब दो हाथियों—धनंजय और कंजल—की भिड़ंत ने शहर को दहला दिया। यह नजारा तब और गंभीर हो गया जब कंजल महल के मैदान से भागकर व्यस्त सड़कों पर पहुंच गया। धनंजय के महावत ने स्थिति को संभालने का पूरा प्रयास किया, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। 

क्या ये हाथियों की प्राचीन परंपरा का हिस्सा था, या कुछ और?  

हाथियों की भिड़ंत से मची अफरातफरी मैसूरु के दशहरा महोत्सव के दौरान सजी-धजी सड़कों पर हमेशा उत्सव का माहौल होता है, लेकिन इस बार शहर में अराजकता फैल गई, जब दो हाथी धनंजय और कंजल की आपसी भिड़ंत ने सबको हैरान कर दिया। हाथियों के महावतों ने इस गंभीर स्थिति को काफी हद तक काबू में कर लिया, जिससे संभावित नुकसान टल गया।  

महावत की समझदारी से टली बड़ी घटना  

धनंजय के महावत ने तत्काल स्थिति को भांपते हुए अपने हाथी को नियंत्रित किया और उसे व्यस्त सड़कों से वापस महल की ओर ले गए। कंजल को भी कुछ देर बाद महल के मैदान में वापस लाया गया। यह सब तब हुआ जब दोनों हाथियों की आपसी भिड़ंत ने आसपास के लोगों के बीच दहशत फैला दी थी।  

दशहरा महोत्सव की तैयारी में जुटे हाथी  

यह घटना तब सामने आई जब मैसूरु के प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव की तैयारियों के तहत कई हाथियों को महल के मैदान में प्रशिक्षित किया जा रहा था। धनंजय और कंजल जैसे कई हाथी इस महोत्सव की शोभा बढ़ाने के लिए तैयार किए जा रहे थे, लेकिन इस अप्रत्याशित घटना ने तैयारियों को झटका दिया।    

महावतों और हाथियों का पुराना रिश्ता  

धनंजय का महावत अपने हाथी के साथ गहरे भावनात्मक संबंध को साझा करता है। महावत और हाथी के बीच का रिश्ता दशकों पुरानी परंपरा का हिस्सा है, जहां वे दिन-रात साथ रहते हैं और आपसी समझ से एक-दूसरे के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इस बार भी, इसी आपसी समझ ने बड़ी दुर्घटना को टाल दिया।  

महल के मैदान में लौटे हाथी  

घटना के कुछ ही समय बाद दोनों हाथियों को महल के मैदान में वापस लाया गया, जहां अन्य हाथियों के साथ उनकी ट्रेनिंग जारी है। दशहरा महोत्सव में इन हाथियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह परेड और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अहम हिस्सा होते हैं।  

हाथियों की परंपरा और दशहरा महोत्सव  

दशहरा महोत्सव के दौरान मैसूरु के महल में हाथियों की परेड और सजावट कई सालों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। हर साल इस महोत्सव में दर्जनों हाथी हिस्सा लेते हैं, जो पारंपरिक वेशभूषा में सजे होते हैं और महोत्सव की शोभा बढ़ाते हैं। इस बार भी, धनंजय और कंजल जैसे हाथी मुख्य आकर्षण होंगे।  

हाथियों की देखभाल और महावतों की जिम्मेदारी  

महावतों की जिम्मेदारी होती है कि वे इन विशाल हाथियों का सही तरीके से देखभाल करें और उन्हें हर स्थिति में नियंत्रित रखें। इस घटना में भी महावतों की समझदारी और अनुभव ने बड़ी अनहोनी को टाल दिया।


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