बैंक अधिकारी गिरफ्तार: 25.5 लाख रुपये के साइबर धोखाधड़ी में बड़ा खुलासा
के कुमार आहूजा 2024-09-21 13:46:05
बैंक अधिकारी गिरफ्तार: 25.5 लाख रुपये के साइबर धोखाधड़ी में बड़ा खुलासा
साइबर धोखाधड़ी की दुनिया में एक नया मोड़ आया है जब एक निजी बैंक के डिप्टी मैनेजर को 70 वर्षीय एक बुजुर्ग को ₹25.5 लाख की ठगी करने वाले साइबर अपराधियों की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या बैंकिंग संस्थान भी इस प्रकार के धोखाधड़ी के लिए सुरक्षित हैं।
गुरुग्राम पुलिस ने बताया कि जसदान मंडी, पंजाब के निवासी आकाशदीप सिंह, एक निजी बैंक में डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत था, जिसे सोमवार को गिरफ्तार किया गया। जांचकर्ताओं के अनुसार, आकाशदीप ने धोखाधड़ी से खोले गए बैंक खातों का इस्तेमाल करके साइबर अपराधियों को सहायता प्रदान की। इन खातों का इस्तेमाल एक 70 वर्षीय व्यक्ति को निवेश के झांसे में डालकर धोखा देने के लिए किया गया।
70 वर्षीय पीड़ित ने 29 फरवरी को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन (मनसेर) में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद जांच शुरू की गई। आकाशदीप ने अपने सहकर्मी हरप्रीत सिंह के साथ मिलकर देवेंद्र सिंह के नाम पर एक म्यूल खाता खोला। हरप्रीत ने इस धोखाधड़ी में अपने योगदान के लिए ₹20,000 प्राप्त किए, जबकि आकाशदीप को ₹10,000 कमीशन मिला।
जांच के दौरान पता चला कि देवेंद्र, जो पटियाला के नोहरा का निवासी है, सीधे बैंक अधिकारियों और साइबर अपराधियों के संपर्क में था। उसने फरवरी में बैंक खाते के लिए अपनी जानकारी प्रदान की। इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने बताया कि पीड़ित से धोखा करने के बाद धन देवेंद्र के खाते में ट्रांसफर किया गया, जिसे फिर अन्य खातों में भेजा गया।
Ongoing Investigation
पुलिस ने हरप्रीत और देवेंद्र को एक महीने पहले गिरफ्तार किया था, लेकिन आगे की जांच ने आकाशदीप की संलिप्तता का खुलासा किया। पुलिस का कहना है कि इस गिरोह के साथ छह से आठ और संदिग्ध अभी भी फरार हैं, जो महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में म्यूल खातों का संचालन कर रहे हैं। आकाशदीप इस वर्ष गुरुग्राम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए 18वें बैंक अधिकारी हैं, जो साइबर अपराधियों के साथ संलिप्त पाए गए हैं।
Key Points:
एक बैंक डिप्टी मैनेजर को 70 वर्षीय बुजुर्ग से ₹25.5 लाख की धोखाधड़ी में गिरफ्तार किया गया।
आकाशदीप ने धोखाधड़ी के लिए म्यूल खाता खोला था।
हरप्रीत और देवेंद्र ने इस धोखाधड़ी में अपनी भूमिका के लिए पैसे लिए।
पुलिस के अनुसार, इस गिरोह में और भी संदिग्ध शामिल हैं जो फरार हैं।
यह मामला बैंकिंग संस्थानों में अंदरूनी complicity की बढ़ती चिंताओं को उजागर करता है।