भारत का चंद्रमा पर अगला कदम! चंद्रयान-4 मिशन के लिए मोदी सरकार की मंजूरी, 2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों की चंद्रमा पर होगी लैंडिंग
2024-09-19 18:32:08
भारत का चंद्रमा पर अगला कदम! चंद्रयान-4 मिशन के लिए मोदी सरकार की मंजूरी, 2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों की चंद्रमा पर होगी लैंडिंग
क्या भारत अब चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने के लिए तैयार है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में जो बड़े फैसले लिए गए, उनमें से एक ऐतिहासिक निर्णय यह भी है कि भारत का चंद्रयान-4 मिशन अब पूरी ताकत से आगे बढ़ेगा। इस मिशन के तहत भारत न केवल चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेगा, बल्कि उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाएगा। तो, आखिर इस मिशन में क्या खास है, और भारत को चंद्रमा पर क्या मिल सकता है?
कैबिनेट की ऐतिहासिक बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में चंद्रयान-4 मिशन को आधिकारिक मंजूरी मिल गई है। यह फैसला देश की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को और मजबूत करता है। बैठक में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस निर्णय की जानकारी दी और बताया कि इस मिशन के तहत कई अत्याधुनिक तकनीकों का विकास किया जाएगा, जिनका मुख्य उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर सुरक्षित तरीके से पहुंचाना और वापस लाना है। यह भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान यात्रा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगा।
चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग
चंद्रयान-4 मिशन के अंतर्गत भारत पहली बार अपने अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारेगा। इस मिशन का लक्ष्य 2040 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर भेजना है। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ये यात्री सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लौट सकें। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए एक नई चुनौती लेकर आएगा, क्योंकि इसमें कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जाएगा।
चंद्रमा से नमूना लाने की योजना
चंद्रयान-4 के तहत चंद्रमा से चट्टानों और मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर लाने की योजना भी बनाई गई है, ताकि उनका गहन अध्ययन किया जा सके। इन नमूनों के अध्ययन से चंद्रमा के निर्माण, उसकी सतह की संरचना और वहां के वातावरण को समझने में मदद मिलेगी। इससे न केवल भारत को चंद्रमा पर शोध में नई जानकारी प्राप्त होगी, बल्कि भविष्य के मिशनों की योजना बनाने में भी सहायता मिलेगी।
2040 तक मिशन के लक्ष्य
इस मिशन को 2040 तक सफलतापूर्वक पूरा करने की योजना बनाई गई है। मिशन के तहत डॉकिंग/अनडॉकिंग, सुरक्षित लैंडिंग और वापसी, चंद्रमा की सतह से नमूने एकत्र करने, और उन्हें वापस लाने जैसी जटिल प्रक्रियाओं के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का विकास किया जाएगा। इसरो इस पूरे मिशन का नेतृत्व करेगा, और इसमें देश के उद्योग और शिक्षा जगत की भी बड़ी भूमिका होगी।
स्वदेशी तकनीकों पर जोर
चंद्रयान-4 मिशन के तहत सभी महत्वपूर्ण तकनीकों को भारत में ही विकसित किया जाएगा। सरकार का यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, जिसमें उन्नत प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी रूप से विकसित करने पर बल दिया जाएगा। इसमें विशेष प्रक्षेपण यानों का निर्माण, अंतरिक्ष यान का विकास, और मिशन से संबंधित सभी प्रमुख गतिविधियों का संचालन किया जाएगा।
2,104.06 करोड़ रुपये का विशाल बजट
इस मिशन के लिए कैबिनेट ने 2,104.06 करोड़ रुपये की राशि को मंजूरी दी है। इस राशि का इस्तेमाल मिशन की तैयारी, तकनीकी विकास, प्रक्षेपण, और अंतरिक्ष यान के निर्माण में किया जाएगा। यह बजट सुनिश्चित करेगा कि इसरो और अन्य संबंधित एजेंसियां मिशन की हर पहलू पर ध्यान केंद्रित कर सकें और इसे सफलतापूर्वक पूरा कर सकें।
गगनयान और शुक्र अभियान को भी हरी झंडी
इस कैबिनेट बैठक में चंद्रयान-4 के अलावा गगनयान मिशन और शुक्र ग्रह की कक्षा में भेजे जाने वाले मिशन को भी मंजूरी दी गई है। गगनयान मिशन भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान के सपने को साकार करने की दिशा में एक और बड़ा कदम है। वहीं, शुक्र ग्रह की कक्षा में प्रस्तावित मिशन सौरमंडल के इस दूसरे ग्रह के रहस्यों को उजागर करने के लिए तैयार होगा।
भारी वजन वाले प्रक्षेपण यान को मंजूरी
कैबिनेट ने एक अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान को भी मंजूरी दी है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन तक के पेलोड ले जाने में सक्षम होगा। इस प्रक्षेपण यान के जरिए भारत भविष्य में और भी बड़े और जटिल अंतरिक्ष मिशन भेज सकेगा। यह प्रक्षेपण यान चंद्रयान-4 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, क्योंकि इसके जरिए भारी उपकरण और अंतरिक्ष यान को चंद्रमा की ओर भेजा जाएगा।
उद्योग और शिक्षा जगत की भागीदारी
इसरो के इस महत्वाकांक्षी मिशन में देश के उद्योग और शिक्षा जगत की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। इसरो का मानना है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से मिशन को और अधिक सटीक और सफल बनाया जा सकता है। साथ ही, उद्योग जगत की तकनीकी और आर्थिक सहायता से मिशन के सभी पहलुओं को समय पर पूरा किया जा सकेगा।
अगले 36 महीनों में होगा पूरा मिशन
मिशन की समयसीमा 36 महीने निर्धारित की गई है। सरकार ने भरोसा जताया है कि इसरो और उसके सहयोगी एजेंसियां इस समय सीमा के भीतर मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करेंगी। यह मिशन न केवल भारत की अंतरिक्ष शक्ति को और मजबूत करेगा, बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमता का परिचय देगा।
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा
इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि गगनयान कार्यक्रम चल रहा है, हमने अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अपने पहले मिशन का शेड्यूल भी दे दिया है। अब हमने इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन से जुड़ा लक्ष्य भी जोड़ दिया है। शुरुआत में इस मिशन (गंगयान) का एक ही लक्ष्य था, लेकिन अब इसमें पांच मिशन हैं, इसलिए हमने इसका दायरा बढ़ा दिया है।
चंद्रयान 4 को लेकर एस सोमनाथ कहते हैं कि चंद्रयान 4 मिशन का मुख्य लक्ष्य चांद पर जाने और फिर वापस आने की तकनीक का प्रदर्शन करना है। वापस आना इसका मुख्य आकर्षण है, चंद्रयान-3 के ज़रिए वहां उतरना पहले ही प्रदर्शित किया जा चुका है। अगर आपको 2040 के बाद किसी इंसान को अंतरिक्ष में भेजना है, जो हमारे प्रधानमंत्री का विजन है, तो हमें तकनीक पर भरोसा होना चाहिए। भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए, हां, इसके लिए एक समयसीमा है - प्रधानमंत्री ने 2035 का लक्ष्य दिया है। हमारी योजना 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के पहले मॉड्यूल BAS-1 को लॉन्च करने की है।