मेडिकल चमत्कार: 13 वर्षीय बच्ची के कान का सफल प्रत्यारोपण, जानें कैसे हुआ जटिल ऑपरेशन
के कुमार आहूजा 2024-09-15 07:33:22
मेडिकल चमत्कार: 13 वर्षीय बच्ची के कान का सफल प्रत्यारोपण, जानें कैसे हुआ जटिल ऑपरेशन
क्या आप जानते हैं कि कान की जटिल विकृति, जिसे माइक्रोटिया कहा जाता है, का सफल इलाज अब बीकानेर में हो रहा है? शनिवार को बीकानेर के सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में 13 वर्षीय बच्ची के कान का प्रत्यारोपण किया गया। इस ऐतिहासिक सर्जरी ने न केवल चिकित्सा जगत में हलचल मचा दी है, बल्कि मूक बधिर मरीजों के लिए एक नई उम्मीद की किरण जगाई है। आइए जानें इस अद्वितीय सर्जरी की पूरी कहानी।
बीकानेर में कान प्रत्यारोपण की ऐतिहासिक सर्जरी
शनिवार को सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में 13 वर्षीय अनसूर्या के कान का प्रत्यारोपण किया गया, जिसे पिन्नाप्लास्टी के नाम से जाना जाता है। इस जटिल ऑपरेशन को अजमेर के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. विजय गक्खड ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। ऑपरेशन के दौरान कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी और ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. गौरव गुप्ता के नेतृत्व में प्रोफेसर्स, सीनियर और जूनियर रेजिडेंट्स डॉक्टरों के लिए एक विशेष वर्कशॉप का आयोजन भी किया गया।
वर्कशॉप में हुआ ऑपरेशन का लाइव टेलीकास्ट
इस ऑपरेशन के दौरान विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया गया जिसमें पिन्नाप्लास्टी/कान प्रत्यारोपण की लाइव सर्जरी का टेलीकास्ट किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों को इस जटिल सर्जरी के बारे में विस्तार से जानकारी देना था। इस वर्कशॉप में बीकानेर सहित देशभर के ईएनटी विशेषज्ञों ने भाग लिया और उन्होंने अपने अनुभवों से कई नई जानकारियां हासिल कीं।
प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी ने दी बधाई
सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी ने इस सर्जरी की सफलता पर ईएनटी विभाग की टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस तरह की जटिल सर्जरी मरीजों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। उन्होंने आगे कहा कि कॉलेज और अस्पताल प्रशासन की ओर से मरीजों के हित में सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि कोई भी सर्जरी संसाधनों की कमी के कारण बाधित न हो।
पिन्नाप्लास्टी: जटिल सर्जरी, नए जीवन की उम्मीद
पिन्नाप्लास्टी या कान प्रत्यारोपण एक अत्यंत जटिल प्रक्रिया है जो उन मरीजों के लिए की जाती है जिनके कान जन्मजात विकृत होते हैं। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के प्रमुख डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि यह सर्जरी मुख्य रूप से उन मरीजों के लिए की जाती है जिनके कान की बाहरी संरचना अविकसित होती है, जिसे माइक्रोटिया कहा जाता है।
माइक्रोटिया और एनोटिया: कान की दुर्लभ विकृति
माइक्रोटिया एक दुर्लभ जन्मजात विकृति है, जिसमें बाहरी कान या पिन्ना का विकास ठीक से नहीं हो पाता। यह विकृति कान के आकार में छोटे बदलाव से लेकर कान की पूर्ण अनुपस्थिति तक हो सकती है, जिसे एनोटिया कहा जाता है। इस सर्जरी के दौरान मरीज की पसलियों की हड्डियों का उपयोग कर कान की नई संरचना बनाई जाती है, जिसे दो चरणों में किया जाता है।
मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत निःशुल्क उपचार
इस जटिल सर्जरी को मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना के तहत निःशुल्क किया गया, जो मरीजों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत की बात है। इस योजना के तहत मरीजों को महंगी सर्जरी और इलाज की सुविधा बिना किसी आर्थिक बोझ के प्रदान की जाती है, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को भी अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल सके।
वर्कशॉप में विशेषज्ञों का योगदान
इस वर्कशॉप में कई वरिष्ठ विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और अपने अनुभव साझा किए। डॉ. गौरव गुप्ता, डॉ. विवेक सामोर, हिसार के प्लास्टिक सर्जन डॉ. विशाल गोयल और वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. जे.पी. गुप्ता ने इस जटिल सर्जरी के दौरान बीकानेर के ईएनटी विभाग के डॉक्टरों को शल्य दक्षता का प्रशिक्षण दिया।
मेडिकल छात्रों के लिए महत्वपूर्ण अवसर
वर्कशॉप में भाग लेने वाले बीकानेर शहर के सभी ईएनटी विशेषज्ञों और पीजी स्टूडेंट्स के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर था। इस वर्कशॉप ने न केवल उन्हें नई तकनीक सिखाई, बल्कि उन्हें जटिल सर्जरी को लाइव देखने का भी अवसर मिला। इस आयोजन में डॉ. गीता सोलंकी, डॉ. शाश्वत दत्त मेहता, डॉ. अभिषेक व्यास, डॉ. अशोक पुनिया और निश्चेतन विभाग से डॉ. विशाल देवरा ने विशेष योगदान दिया।
बीकानेर में मूक बधिर मरीजों के लिए नई उम्मीद
बीकानेर संभाग में कान की बाहरी संरचना और बनावट से संबंधित यह नई सर्जरी तकनीक मूक बधिर मरीजों के लिए एक नई आशा लेकर आई है। यह सर्जरी न केवल मरीजों की शारीरिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगी, बल्कि उनके जीवन में भी एक बड़ा बदलाव लाएगी। ऐसे जटिल ऑपरेशनों से बीकानेर का मेडिकल क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
उत्तर भारत में चुनिंदा स्थानों पर होती है यह सर्जरी
डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि उत्तर भारत में मात्र दो या तीन स्थानों पर ही ऐसी जटिल सर्जरी की जाती है। ऐसे में बीकानेर में इस सर्जरी का सफल होना न केवल ईएनटी विभाग के लिए बल्कि पूरे मेडिकल क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
पिन्नाप्लास्टी के दो चरण
इस सर्जरी के दो चरण होते हैं। पहले चरण में मरीज की पसलियों की हड्डियों को निकालकर कान की संरचना में ढाला जाता है और फिर उस संरचना को चमड़ी के अंदर रखा जाता है। दूसरे चरण में कान की बाहरी बनावट को पुनः स्थापित किया जाता है ताकि वह पूरी तरह से कान की तरह दिखाई दे और उसकी कार्यक्षमता भी बहाल हो सके।
बीकानेर में मेडिकल क्षेत्र की उपलब्धि
बीकानेर का ईएनटी विभाग अब देशभर में अपनी पहचान बना रहा है। इस प्रकार की जटिल सर्जरी से यह साबित हो गया है कि बीकानेर में चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा रही हैं। मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों के लिए यह एक बड़ी प्रेरणा है कि वे भी भविष्य में इस तरह की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकें।
बहरहाल, सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज का यह ऑपरेशन मूक बधिर मरीजों के लिए एक बड़ी उम्मीद की किरण लेकर आया है। इस सर्जरी से यह साबित हो गया है कि बीकानेर में मेडिकल सुविधाएं उच्च स्तर की हो रही हैं और यहां के डॉक्टर और मेडिकल छात्र अंतरराष्ट्रीय मानकों की सर्जरी करने में सक्षम हैं। यह ऑपरेशन न केवल चिकित्सा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के लिए भी एक प्रेरणा है कि कैसे आधुनिक चिकित्सा से विकृतियों का सफल इलाज किया जा सकता है।