6 माह में 400 आरटीआई! सूचना के अधिकार के तहत सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग, रीको ने लगाया 3 लाख का जुर्माना
के कुमार आहूजा 2024-09-15 07:23:19
6 माह में 400 आरटीआई! सूचना के अधिकार के तहत सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग, रीको ने लगाया 3 लाख का जुर्माना
क्या आप सोच सकते हैं कि एक व्यक्ति द्वारा बार-बार आरटीआई अपील करने से सरकारी संसाधनों का इतना दुरुपयोग हो सकता है कि इसे रोकने के लिए विभाग को तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाना पड़े? जी हां, बीकानेर में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां 6 महीनों में 400 से अधिक आरटीआई दायर करने वाले व्यक्ति को रीको ने भारी जुर्माने का नोटिस थमा दिया है। यह निर्णय राज्य में आरटीआई के दुरुपयोग के मामलों में पहला माना जा रहा है।
मामला: 6 महीनों में 400 आरटीआई और 3 लाख रुपये का जुर्माना
बीकानेर के रीको (राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम) कार्यालय में एक ऐसा अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति द्वारा 6 महीनों में 400 आरटीआई आवेदन प्रस्तुत किए गए। यह व्यक्ति भूखंड बहाली को लेकर असंतुष्ट था और लगातार अपील कर रहा था। रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक और राज्य लोक सूचना अधिकारी ने इस मामले में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए आरटीआई लगाने वाले पर तीन लाख रुपये के जुर्माने का नोटिस जारी कर दिया।
अपील पर कर्मचारियों का समय बर्बाद, राजकीय नुकसान
आरटीआई के इन आवेदनों का जवाब देने में रीको के कर्मचारियों का लगभग 80 प्रतिशत समय नष्ट हो गया। इतना ही नहीं, इन अपीलों पर तीन लाख रुपये का विधिक खर्च भी हुआ, जो सरकारी खजाने से गया। रीको ने इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए अपीलकर्ता को सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव बनाने के आरोप में जुर्माने का नोटिस जारी किया है।
अपीलकर्ता को विधिक कार्रवाई का निर्देश
रीको के क्षेत्रीय प्रबंधक, शर्मा ने अपीलकर्ता नारायण दास तुलसानी को आरटीआई के दुरुपयोग और सरकारी कर्मचारियों पर अनुचित दबाव डालने का दोषी ठहराया है। उन्होंने अपीलकर्ता को 7 दिनों के भीतर अपना पक्ष स्पष्ट करने और विधिक कार्रवाई के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। यह मामला न केवल आरटीआई के दुरुपयोग की चेतावनी देता है बल्कि सरकारी प्रक्रियाओं के सुचारू संचालन में बाधा डालने के गंभीर परिणाम भी सामने रखता है।
रीको भूखंड विवाद की शुरुआत
इस पूरे मामले की शुरुआत तब हुई जब नारायण दास तुलसानी को बीकानेर के करणीनगर औद्योगिक क्षेत्र में रियायती दर पर औद्योगिक भूखंड आवंटित किया गया था। 885.49 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर पर आवंटित इस भूखंड का कुल क्षेत्रफल 29,893 वर्गमीटर था। तुलसानी को इस भूखंड पर 39.62 करोड़ रुपये का निवेश करना था, जिससे राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते। लेकिन, आवंटन पत्र की शर्तों का पालन न करने के कारण रीको ने 25 नवंबर 2019 को यह भूखंड निरस्त कर दिया।
निरस्तीकरण के बाद आरटीआई का अंबार
भूखंड निरस्तीकरण के बाद, तुलसानी ने लगातार भूखंड बहाली के लिए आरटीआई दायर करना शुरू कर दिया। भूखंड की पुनः बहाली के लिए अनुचित दबाव बनाते हुए 6 महीनों के भीतर ही उसने लगभग 400 आरटीआई आवेदन प्रस्तुत किए, जिनकी प्रतिलिपि राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, रीको चेयरमैन, और कई अन्य उच्चाधिकारियों को भी भेजी गई। यह स्थिति रीको कार्यालय के लिए असाधारण रूप से चुनौतीपूर्ण हो गई, क्योंकि इन सभी आवेदनों का निस्तारण करना अत्यधिक समय और संसाधनों की मांग करता था।
रीको के कर्मचारियों पर दबाव और भय का माहौल
इतनी बड़ी संख्या में आरटीआई दायर करने से रीको के कार्यालय में एक कर्मचारी का 80 प्रतिशत समय इन अपीलों के जवाब देने में ही व्यतीत हो गया। इसके अलावा, अन्य कर्मचारियों को भी आवेदन पत्रों का निस्तारण करने में अपने कार्य का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ा। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के लिए बोझिल हो गई, बल्कि कार्यालय में भय और दबाव का माहौल भी बना दिया।
उच्च न्यायालय और आईडीसी में भी दायर किए गए मामले
भूखंड निरस्तीकरण से असंतुष्ट तुलसानी ने केवल आरटीआई ही नहीं दायर किए, बल्कि रीको के खिलाफ उच्च न्यायालय जोधपुर और आईडीसी (इंडस्ट्रीयल डिस्प्यूट कमिशन) के समक्ष सात मामले भी दर्ज किए। इन सभी मामलों में तुलसानी ने रीको के खिलाफ विभिन्न स्तरों पर अपील की, जिसे रीको ने नियमानुसार खारिज कर दिया।
आरटीआई के दुरुपयोग पर ऐतिहासिक फैसला
इस मामले में रीको ने आरटीआई के दुरुपयोग को गंभीरता से लिया और अपीलकर्ता पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया। यह पहली बार है जब किसी ने आरटीआई के माध्यम से सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया हो और उसे आर्थिक दंड भुगतना पड़ा हो। इस निर्णय से अन्य अपीलकर्ताओं के लिए भी एक कड़ा संदेश गया है कि आरटीआई का उपयोग सही तरीके से और सही मकसद के लिए किया जाना चाहिए।
राज्य में पहला ऐसा मामला
यह मामला राज्य में पहली बार हुआ है कि किसी व्यक्ति पर आरटीआई के दुरुपयोग के लिए आर्थिक दंड लगाया गया हो। इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि सरकारी संसाधनों का अनावश्यक और गलत उपयोग न केवल सरकारी तंत्र को बाधित कर सकता है, बल्कि दंडात्मक कार्रवाई का कारण भी बन सकता है।
बहरहाल, यह मामला न केवल आरटीआई के दुरुपयोग का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भी बताता है कि किसी भी प्रक्रिया का अनुचित लाभ उठाने से कैसे सरकारी संसाधनों की बर्बादी हो सकती है। रीको द्वारा उठाए गए इस कदम से उम्मीद है कि भविष्य में आरटीआई का सही और न्यायसंगत तरीके से उपयोग होगा, ताकि इसका उद्देश्य और महत्व बना रहे।
(धन कुबेर द्वारा क़ानून और राज्य की प्रशासकीय संस्थाओं को अपनी धौन्स डपट, अनुचित दबाव और राजकीय नियमों का खुलेआम उल्लंघन का बिलकुल ताज़ा मामला ( ताज़ा इसलिए कि इनका भूतकाल ऐसे अनेकों उदाहरणों से भरा है जिसमे इन्होने कई बार सरकारी महकमों को अपनी जागीर समझ कर उनकी शिकायते कर कर सभी को बाहुबल व धन का उपयोग कर परेशान किया है ),जिसका विस्तृत ब्यौरा इनके व्यापार से संबंधित हर सरकारी डिपार्टमेंट के पास उपलब्ध है जिन्हे इन्होने परेशान किया है। विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इनके जिस प्लॉट्स को 2019 मे निरस्त कर दिया गया था उस पर 2021 मे आगे दीवार ख़डी कर पिछले रास्ते से निर्माण भी करवा लिया। संबंधित डिपार्टमेंट क्या यह बताएगा कि वो अवैध निर्माण क्योंकर हुआ और अब तक उस निर्माण पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई? क्या ऐसे धन कुबेर नियम क़ानून से ऊपर है ?) बहुत जल्दी खुलासा