कचहरी परिसर की छत क्षतिग्रस्त, प्रशासन की लापरवाही से बढ़ा हादसे का खतरा


के कुमार आहूजा  2024-09-14 07:24:35



कचहरी परिसर की छत क्षतिग्रस्त, प्रशासन की लापरवाही से बढ़ा हादसे का खतरा

 

बीकानेर के पुराने कचहरी परिसर के पिछले गेट के पोर्च की छत पिछले महीनों से क्षतिग्रस्त है, और प्रशासन के अस्थायी बंदोबस्त के चलते वहां से गुजरने वाले हजारों लोगों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?

प्रशासन की लापरवाही, बल्लियों से रोका गया वाहनों का रास्ता

बीकानेर के पुराने कचहरी परिसर के पिछले गेट के पोर्च की छत क्षतिग्रस्त हो गई है। इस कारण प्रशासन ने केवल बल्लियाँ लगाकर वाहनों को पोर्च से गुजरने से रोक दिया है, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। पोर्च के बाहर से वाहनों और लोगों की आवाजाही अब भी जारी है, जिससे दुर्घटना की संभावनाएं बनी हुई हैं।

कचहरी परिसर से प्रतिदिन हजारों लोगों की आवाजाही

इस परिसर से प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग गुजरते हैं। कचहरी में विभिन्न कॉलोनियों जैसे माजिसा का बास, हनुमान हत्था, रथखाना, और धोबी धोरा के निवासी भी आते-जाते हैं। ऐसे में केवल बल्लियाँ लगाकर वाहनों को रोक देना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि पैदल चलने वालों और वाहनों की आवाजाही बदस्तूर जारी है।

वकील और क्लाइंट्स को हो रही है परेशानी

वकीलों और उनके क्लाइंट्स को स्टाम्प और कोर्ट से संबंधित अन्य फॉर्म्स लेने के लिए इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है। इससे लोगों को हर दिन असुविधा झेलनी पड़ती है, लेकिन प्रशासन केवल बल्लियाँ लगाकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहा है। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी, जब तक प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं करता।

कई महत्वपूर्ण कार्यालय भी इसी हिस्से में स्थित

रसद विभाग, कोषागार और तहसील कार्यालय जैसे बड़े कार्यालय भी इसी क्षतिग्रस्त छत के पास वाले हिस्से में स्थित हैं, जिससे लोगों की आवाजाही हमेशा बनी रहती है। ऐसे में प्रशासन की लापरवाही और भी चिंताजनक है, क्योंकि यहाँ से गुजरने वाले लोगों की जान पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?

प्रशासन की निष्क्रियता पर खड़े होते सवाल 

स्थानीय निवासियों और कचहरी में आने-जाने वालों का कहना है कि प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। बल्लियाँ लगाकर रास्ता बंद कर देना कोई स्थायी समाधान नहीं है। लोगों की मांग है कि इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए, ताकि किसी बड़े हादसे को टाला जा सके।

क्या होगा कोई ठोस कदम या हादसे का इंतजार?

प्रशासन की निष्क्रियता से यह सवाल उठता है कि क्या वाकई में अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है? यह सवाल ऐसे में और गहरा जाता है जबकि कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, एडीएम, एसडीएम जैसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी स्वयं इसी परिसर के अगले भाग में बैठते हैं। यह समस्या केवल एक छत के गिरने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हजारों लोगों की सुरक्षा से जुड़ी है। प्रशासन को इसे जल्द से जल्द संज्ञान में लेकर स्थायी समाधान के लिए कदम उठाने चाहिए।

स्थानीय जनता की मांग, जल्द हो मरम्मत

स्थानीय लोग और कचहरी परिसर में काम करने वाले सभी लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। उनकी मांग है कि प्रशासन जल्द से जल्द इस इमारत की मरम्मत कराए, ताकि संभावित हादसे को टाला जा सके। अगर समय रहते यह काम नहीं हुआ, तो किसी भी दिन एक बड़ा हादसा हो सकता है।


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